The Greatest Guide To Shodashi
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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥
ह्रीं श्रीं क्लीं परापरे त्रिपुरे सर्वमीप्सितं साधय स्वाहा॥
चक्रेश्या पुर-सुन्दरीति जगति प्रख्यातयासङ्गतं
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari ashtottarshatnam
देवीं मन्त्रमयीं नौमि मातृकापीठरूपिणीम् ॥१॥
Goddess Shodashi is often connected with magnificence, and chanting her mantra conjures up interior attractiveness and self-acceptance. This reward encourages folks to embrace their reliable selves and cultivate self-self esteem, aiding them radiate positivity and grace in their each day life.
The selection of mantra kind is just not just a matter of desire but displays the devotee's spiritual plans and the nature in their devotion. It is a nuanced aspect of worship that aligns the practitioner's intentions With all the divine energies of Goddess Lalita.
लक्ष्या मूलत्रिकोणे गुरुवरकरुणालेशतः कामपीठे
Her legacy, encapsulated in the vibrant traditions and sacred texts, proceeds to manual and encourage People on The trail of devotion and self-realization.
लक्ष्या या चक्रराजे नवपुरलसिते योगिनीवृन्दगुप्ते
प्रणमामि महादेवीं मातृकां परमेश्वरीम् ।
The worship of Tripura Sundari is often more info a journey in direction of self-realization, wherever her divine magnificence serves as a beacon, guiding devotees to the ultimate truth.
ब्रह्माण्डादिकटाहान्तं तां वन्दे सिद्धमातृकाम् ॥५॥
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।